सिर्फ 27% किसानों को बैंक लोन : रंगराजन
महत्वपूर्ण सवाल यह है कि छोटे और बहुत छोटे स्तर पर लोन लेने वालों को कैसे बैंकिंग सुविधा मिले। बैंक अधिकारियों को छोटे और सीमांत किसानों की भावना को समझना होगा ताकि उन्हें भी क्रेडिट मिले।
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देश में कुल 8.93 करोड़ हाउसहोल्ड हैं। इनमें से 4.59 करोड़ परिवारों को चाहे इंस्टीट्यूशनल हो या नॉन-इंस्टीट्यूशनल, किसी भी संस्था से लोन नहीं मिलता है। यह देश के कुल परिवारों का 51.4 फीसदी है।
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वाणिज्यिक बैंकों की ढेर सारी शाखाओं के नेटवर्क के बावजूद आज भी देश के महज 27 फीसदी खेतिहर किसानों को इनसे लोन मिलता है। यही नहीं, इनमें से भी एक तिहाई को महाजन आदि परंपरागत स्रोत से लोन लेने की नौबत आती है। जरूरी है बैंक शाखाओं की संख्या बढ़ाने की, तभी फाइनेंशियल इनक्लूजन सफल हो पाएगा। यह कहना है प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी. रंगराजन का। 'दैनिक भास्कर फाइनेंशियल इनक्लूजन कॉनक्लेव 2012' को संबोधित करते हुए रंगराजन ने बताया कि देश में कुल 8.93 करोड़ परिवार (हाउसहोल्ड) हैं, जिनमें से 4.59 करोड़ परिवारों को चाहे इंस्टीट्यूशनल हो या नॉन-इंस्टीट्यूशनल, किसी भी संस्था से लोन (क्रेडिट) नहीं मिलता है। यह देश के कुल परिवारों का 51.4 फीसदी है। यही नहीं, वाणिज्यिक बैंकों की हजारों शाखाओं के नेटवर्क के बावजूद महज 27 फीसदी खेतिहर परिवारों को ही उनसे लोन मिलता है। शेष परिवारों को नाते-रिश्तेदारों, महाजनों या अन्य पारंपरिक स्रोतों से ही लोन लेना पड़ता है। यह तो अखिल भारतीय औसत है। यदि हम पूर्वोत्तर, पूर्वी और मध्य क्षेत्र पर नजर डालें तो वहां स्थिति और खराब है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में 95.91 फीसदी लोगों को बैंक से लोन नहीं मिलता। पूर्वी भारत में यह संख्या 81.26 फीसदी और मध्य भारत में 77.59 फीसदी है। उनका कहना है कि देश में कहने को तो वाणिज्यिक बैंकों का तगड़ा नेटवर्क है लेकिन अंतिम कतार में बैठे व्यक्तियों तक इनकी कितनी पहुंच है, इसका अंदाजा उपरोक्त बातों से हो जाता है। इस समय सिर्फ ग्रामीण और अद्र्ध शहरी इलाकों में ही देखें तो वाणिज्यिक बैंकों की 33,500 शाखाएं हैं। महत्वपूर्ण सवाल यह है कि छोटे और बहुत छोटे स्तर पर लोन लेने वालों को भी कैसे बैंकिंग सुविधा मिले। इस बारे में उनका मानना है कि बैंक अधिकारियों को छोटे और सीमांत किसानों की भावना को समझना होगा ताकि उन्हें भी क्रेडिट मिले। इसके अलावा गांवों में स्थित बैंक की शाखाओं से सिर्फ ख्ेाती के लिए नहीं बल्कि अन्य संबंधित गतिविधियों के लिए भी लोन मिले। वैसे जिलों, जहां प्रति शाखा जनसंख्या राष्ट्रीय औसत से अधिक हो, वहां बैंकों की ज्यादा शाखाएं खोलने पर बल दिया जाए। रिजर्व बैंक ने 15 राज्यों में 139 जिलों को इस तरह के जिले के रूप में चिह्नित किया है। यही नहीं, छोटी ऋण लेने वालों के लिए प्रक्रिया में भी सुधार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बिजनेस फेसिलिटेटर और बिजनेस करेस्पोंडेंस मॉडल को भी सही तरीके से लागू करने की आवश्यकता है। बैंकिंग सेक्टर की पहुंच बढ़ाने के लिए रिजर्व बैंक ने बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए इंटरमीडियरीज की भूमिका को स्वीकार किया है। इस समय 1,20,350 बैंकिंग करेस्पोंडेंस हैं। हालांकि यह सेवा पूरी तरह से रफ्तार नहीं पकड़ पाई है लेकिन इसमें काफी संभावनाएं हैं। बैंक को जरूर इस पर विचार करना चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोगों तक वित्तीय सेवाओं की पहुंच हो सके।
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