Wednesday, 5 September 2012

अल्पसंख्यक आरक्षण


आंध्र हाईकोर्ट का आदेश, ओबीसी में अल्पसंख्यकों को आरक्षण मत दो 


न्यायालय ने महान्यायविद से पूछा कि क्या 4.5 प्रतिशत अल्पसंख्यक आरक्षण निर्धारित करने से पहले इस मामले को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के समक्ष रखा गया था।

न्यायालय ने पूछा, "अल्पसंख्यकों के लिए 4.5 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था करने से पहले आपने कौन-सी तैयारी की है? क्या यह प्रस्ताव राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के समक्ष रखा गया था?"

जब वाहनवती ने उच्च न्यायालय के आदेश पर आपत्ति खड़ी की, तो न्यायालय ने उनसे कहा, "जब आपने प्रासंगिक सामग्री पेश नहीं की तो फिर उच्च न्यायालय को दोषी कैसे ठहरा सकते हैं?"

न्यायालय ने कहा कि 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण में से अल्पसंख्यकों को 4.5 फीसदी आरक्षण देना संविधान के अनुच्छेद 15 से भी जुड़ा हुआ है, जिसमें केवल धर्म, लिंग, जाति, नस्ल एवं जन्म स्थान के आधार पर विभेद करना प्रतिबंधित किया गया है।

वाहनवती ने कहा कि केरल एवं कर्नाटक में पहले से ही पिछड़े वर्ग के मुस्लिमों को आरक्षण मिल रहा है। न्यायालय द्वारा आदेश रद्द करने पर वाहनवती ने विभिन्न श्रेणियों के 325 छात्राओं की समस्याओं का हवाला दिया, जिन्हें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में प्रवेश लेने के लिए काउंसलिंग में भाग लेना है।

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश को सोमवार को निलम्बित करने से फिलहाल इंकार कर दिया, जिसके तहत अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) के लिए निर्धारित 27 प्रतिशत आरक्षण में से अल्पसंख्यकों को दिया गया 4.5 प्रतिशत आरक्षण रद्द कर दिया गया था। न्यायालय ने विधिवत प्रक्रिया पूरी किए बगैर आरक्षण लागू करने पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई और उसके रवैये पर नाराजगी भी जताई।

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