66 (a)•आईटी
कानून सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 इलेक्ट्रॉनिक
संचार माध्यमों के बीच होने वाली
सूचना, जानकारी और आंकड़ों के आदान प्रदान पर लागू होता है. धारा
66
ए जिसमें झूठे और आपत्तिजनक संदेश भेजने पर सजा का प्रावधान है. इस
धारा के तहत कंप्यूटर और संचार
उपकरणों से ऐसे संदेश भेजने की मनाही है जिससे परेशानी, असुविधा, खतरा, विघ्न,
अपमान, चोट, आपराधिक उकसावा, शत्रुता या दुर्भावना होती हो. इसका
उल्लंघन करने पर तीन साल तक की सजा
और जुर्माना हो सकता है
श्रेया
सिंघल ने याचिका मे संज्ञेय
अपराध की श्रेणी से हटाने की मांग की याचिका
में कहा गया है कि धारा में प्रयुक्त
भाषा अस्पष्ट है और विस्तृत दायरे की बात करती है जिसकी वजह से इसका दुरुपयोग हो
रहा है। याचिका के अनुसार इस धारा से नागरिकों को मिले अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
के अधिकार का हनन हो रहा है। यह धारा संविधान के अनुच्छेद 14,19 और 21 का उल्लंघन
करती है।
अदालती आदेश के बिना पुलिस किसी को गिरफ्तार
नहीं कर सके
सुप्रीम
कोर्ट के मुख्य न्यायाधीन अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली दो
सदस्यी बेंच शुक्रवार को एटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती से मदद भी मांगी है। और फौरन
सुनवाई वाले मामलों की सूची में शामिल किया है.
सरकार
ने शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के
मामले में पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी (आइजी
रैंक) से
नीचे का कोई भी पुलिस अधिकारी धारा 66 ए के तहत अभियोजन चलाने की अनुमति नहीं दे
सकता। इसी तरह मेट्रो शहरों में पुलिस उपायुक्त स्तर के अधिकारी (डीसीपी स्तर के पुलिस अधिकारी) से
पूर्व अनुमति लेनी होगी।
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