सुप्रीम कोर्ट ने रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) पर कानूनी स्थिति स्पष्ट करने में विधि अधिकारियों से मदद करने का अनुरोध किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने रिटेल में एफडीआइ लागू करने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर 12 अक्टूबर तक सुनवाई टाल दी। वकील एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर रिटेल में एफडीआइ लागू करने की अधिसूचना रद करने की मांग की है। शुक्रवार को न्यायमूर्ति आरएम लोधा व न्यायमूर्ति एआर दवे की पीठ ने याचिका पर सुनवाई 12 अक्टूबर तक टालते हुए एमएल शर्मा से कहा कि वह याचिका की एक प्रति विधि अधिकारी सॉलिसिटर जनरल या अटार्नी जनरल को सौंप दें। पीठ ने करीब एक घंटे तक चली लंबी सुनवाई के बाद याचिका पर बगैर नोटिस जारी किए कहा कि इस याचिका में दिए गए ब्योरे में कुछ गायब है। पूरा लिंक नहीं जुड़ रहा है। इसके लिए कोर्ट ने अनौपचारिक रूप से विधि अधिकारियों से कानून की स्थिति स्पष्ट करने का अनुरोध किया और सुनवाई टाल दी। इससे पहले सरकार के रिटेल में एफडीआइ लागू करने के फैसले का विरोध करते हुए एमएल शर्मा ने कहा कि रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के दिशा निर्देश रिटेल सेक्टर में एफडीआइ की मंजूरी नहीं देते। सरकार ने आरबीआइ के नियमों में बदलाव किए बगैर रिटेल में एफडीआइ लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी है। उनकी इन दलीलों पर पीठ ने कहा कि पालिसी लागू करना सरकार का एकाधिकार है। कोई उसकी नीति को अच्छा कह सकता है और कोई बुरा। लेकिन इसे कानून विरुद्ध नहीं कहा जा सकता। कोर्ट भी सरकारी के कार्यकारी आदेशों में बदलाव नहीं कर सकता। कोर्ट सिर्फ प्रक्रियात्मक खामी पर विचार कर सकता है। पीठ ने कहा कि वे जानना चाहते हैं कि आरबीआइ के नियमों में बदलाव किए बगैर (जैसा कि याचिकाकर्ता का कहना है) इस अधिसूचना की कितनी कानूनी अहमियत है।
एफडीआइ पर विशेषज्ञों की राय लेगा सुप्रीम कोर्ट
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली
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